लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को 11 मार्च 2024 की देर रात अधिसूचित कर दिया है। इसके साथ ही भारत में सीएए कानून लागू हो जाएगा। सीएए के लागू होने से भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।
सीएए क्या है?
नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए दिसंबर 2019 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था। यह 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करता है। यह अधिनियम 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए 6 धर्मों के शरणार्थियों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी को भारतीय नागरिकता देने की बात कहता है।
सीएए के प्रमुख प्रावधान:
- सीएए के तहत भारत अपने तीन पड़ोसी और मुस्लिम बाहुल्य देशों से आए उन लोगों को भारतीय नागरिकता देगा जो साल 2014 तक किसी न किसी प्रताड़ना का शिकार होकर भारत आकर बस गए थे।
- सीएए के अनुसार इन तीन देशों से भारत आए लोगों को नागरिकता लेने के लिए किसी तरह के कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी।
- कानून के तहत इन छह अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलते ही मौलिक अधिकार भी मिल जाएंगे।
- सीएए से मुसलमानों को बाहर रखा गया है।
- भारतीय नागरिकता कानून 1955 में अब तक 6 बार (1986, 1992, 2003, 2005, 2015, 2019) संशोधन हो चुका है।
- पहले किसी को भी भारतीय नागरिकता लेने के लिए 11 साल तक भारत में रहना जरूरी था।
- नए संशोधित कानून में यह अवधि घटाकर 6 साल कर दी गई है।
सीएए लागू करने के लिए भारत सरकार ने क्या तर्क हैं?
- यह बिल जब संसद से पारित किया गया था उस वक्त ही भारत के अलग अलग हिस्सों में मुस्लिमों ने इसका कड़ा विरोध किया।
- लेकिन, अमित शाह का कहना था कि सीएए किसी की नागरिकता छीनने का कानून नहीं है।
- उन्होंने कहा कि, “नागरिकता संशोधन अधिनियम ऐसे लोगों को नागरिकता देने के लिए बनाया गया है, जिन्हें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रहते हुए धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा और वह इससे बचने के लिए भारत पहुंचे थे.”
सीएए को लेकर विरोध क्यों?
- आज से चार साल पहले जब सीएए संसद से पारित हुआ था, उस वक्त ही देश के कई हिस्सों में इसका कड़ा विरोध किया गया।
- विरोध करने की मुख्य वजह इस संशोधित अधिनियम में मुस्लिम समुदाय को शामिल नहीं किया जाना है।
- कुछ राजनीतिक पार्टियों ने इसी को आधार मानकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा।
- विपक्षी पार्टियों के अनुसार इस अधिनियम में संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन हो रहा है जो समानता के अधिकार की बात करता है।
सीएए के लागू होने के बाद क्या होगा?
- सीएए के लागू होने के बाद भारत सरकार इन तीन देशों से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू करेगी।
- सरकार ने इन शरणार्थियों के लिए नागरिकता देने के लिए नियम-कानून भी बनाए हैं।
- यह देखना होगा कि सीएए का भारत की राजनीति और समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है।