28 फरवरी को आयोजित परीक्षा संबंधी बैठक में कुलपतियों और अन्य विश्वविद्यालय पदाधिकारियों की अनुपस्थिति से नाराज होकर शिक्षा विभाग ने सभी पारंपरिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, कुल सचिवों (कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को छोड़कर) और परीक्षा नियंत्रकों (मगध और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को छोड़कर) को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया है कि “क्यों नहीं आप लोगों के खिलाफ विधि के तहत विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करायी जाये” और जवाब दो दिन के अंदर मांगा गया है।
नोटिस जारी करने के कारण:
- शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में कुलपतियों और अन्य पदाधिकारियों की अनुपस्थिति।
- लंबित परीक्षाओं की जानकारी जानबूझकर उपलब्ध नहीं कराना।
- परीक्षा कार्य में लापरवाही बरतना और समय पर परीक्षा आयोजित नहीं करना।
- परीक्षा परिणामों को समय पर प्रकाशित नहीं करना।
- विश्वविद्यालय अधिनियम, बिहार कंडक्ट ऑफ एक्जामिनेशन एक्ट 1981 और शिक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचनाओं का पालन नहीं करना।
नोटिस में उल्लिखित धाराएं:
- इंडियन पेनल कोड (IPC): धारा 174, 175, 176, 179, 186 और 187
- बिहार कंडक्ट ऑफ एक्जामिनेशन एक्ट 1981: धारा 9, 10 और 11
कार्रवाई:
- सभी पदाधिकारियों का वेतन अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है।
- विश्वविद्यालयों के सभी बैंक खातों के संचालन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है।
- यदि पदाधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं, तो उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकती है।
शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय पदाधिकारियों को स्पष्ट करने के लिए कहा है कि यदि वे परीक्षा संबंधी कार्य समय पर नहीं कर पा रहे हैं, तो उन्हें विश्वविद्यालयों को आगे से बजट क्यों नहीं दिया जाना चाहिए।
बैंकों को निर्देश:
राज्य के सभी विश्वविद्यालयों से संबंधित सभी बैंक शाखा प्रबंधकों को निर्देश दिया गया है कि अगले आदेश तक किसी भी प्राधिकार से किसी भी तरह की राशि निकालने पर रोक लगा दी गई है।
शिक्षा विभाग ने जुलाई 2023 में समीक्षा की थी, जिसमें पाया गया था कि बहुत से विश्वविद्यालयों में अकादमिक सत्र तीन-चार साल पीछे चल रहे हैं। शिक्षा विभाग द्वारा परीक्षा संचालन के लिए अधिसूचना जारी की गई थी, जिसका पालन नहीं किया जा रहा है। कुछ विश्वविद्यालयों में अद्यतन चल रहे परीक्षा सत्रो में भी देरी हो रही है।